प्लासी युद्ध के कारण ,परिणाम एवं महत्त्व PLASI KA YUDHHA KE KARAN , PRINAM AND MAHATTV . /Battle of Plassey.

                                     प्लासी का युद्ध का कारण ,परिणाम एवं महत्त्व  



              प्रश्न :  प्लासी  युद्ध के करनो , एवं परिणाम एवं महत्त्व का वर्णन करे |  





उत्तर :   1157  ई०  में अंग्रेज़ो और बंगाल के नावब सिराजुद्दोला  के बिच प्लासी के मैदान में युद्ध हुआ।  
            
             1. अंग्रेजो का कुचक्र 1690 ई० में आधुनिक कलकत्ता का  शिलान्यास  जय चार नोकिया | 1700 ईं० में वह प्रेसिडेंसी  शहर बन दिया गया आरंभ से अंग्रेज़ो के लिए बंगाल लाभप्रद  था क्योकि आय सबसे उपजाऊ  और सम्पन्न  प्रान्त था  व्यापार के काम में हिन्दुओ का अधिक बोल बाला था अँगरेज़ उनके सम्पर्क में अये |  वे कुछ  मिलकर मुसलमान शाशको के विरूद्ध बगावत करने और उनके राज्य को नष्ट करने का षड़यंत्र रचने लगे।  कलकत्ता का एक सिक्ख व्यापारी जमींदार अँगरेज़  का विशेष रूप से  मदद कर  रहा था। एक अँगरेज़ षड़ंयत्रकारी कर्नल स्कार्ट ने आमिरचन्द की मदद से गुप्त रीती से बड़े बड़े हिन्दू राजाओ और रईसों को अपनी और मिला लिया | उसने अनेक झूठे सच्चे वादा  करके नवाब के अनेक दरबारियों और संबंधियों को अपनी और मिला लिया।  

2. सिराजुदौला और अंग्रेज़ -सिराजुदौला अँग्रेजों से काफी क्षुब्ध था। वह शीघ्र ही  बंगाल से निकल बाहर करना चाहता था | अँगरेज़ व्यापारी शाही फरमान द्वारा मिली  सुविधावो का नाजायज फायदा उठा रहे थे।  वे देसी व्यापारियों को दस्तक (PASSES OF GOODS) देकर नि शुल्क  व्यापार करने के लिए प्रोत्शाहित कर रहे थे। इससे  नवाब की अर्थिक क्षति होती थी जब सिराजुदौला  बंगाल की गद्दी पर  बैठा तो  अंग्रेजी कम्पनी और से कोई भेट उपहार नहीं पेस किया गया।  स्वाभिमानी सिराजुदौला ने इसे अपना अपमान समझा और वह शीघ्र ही अंग्रेज़ो को इसका मज़ा चखन चाहता था | जो दरबारी किसी तरह का जुर्म करते या नवाब के  खिलाफ बगावत करते उन्हें अंग्रेज कलकत्ता में बुला कर अपने कोठी में सरन देते थे | एक ज्वलंत उदाहरण कृष्णावल्ली का था ढाका के दीवान राजवल्लभ का लड़का था राजवल्लभ ने सरकारी खजाना का गबन किया था | इस अपराध  में उसे मुर्शिदाबाद में बंदी बना लिया गया नवाब के सिपाहि राजवल्ल्भ की संपत्ति और परियर जप्त करने किये ढाका भेजे गए | इसी बिच कृष्णवल्ल्भ  खजाना और परिवार लेकर जगन्नाथ  तीर्थ यात्रा जाने के बहाने कलकत्ता पहुंच गया उसने अंग्रेजी कम्पनी के गवर्नर को रिश्वत देकर उसकी शरण में चला गया  नवाब  के अपराधी को शरण दिया जाना सिराजुदौल्ला को कतई पसंद नहीं था | इतिहास कर एस. सी. हिल  ने यह स्वीकार किया है की नवाब सिराजुदौल्ला अंग्रेजो कुछ कार्यो जैसे किलेबंद करना. व्यापारिक सुविधाओ का नाजायज फायदा उठाना एवं नवाब के अपराधियों का दरबारियों को शरण देना आदि से बड़ा क्षुब्ध था। 

3. कलकत्ता पर हमला - जब  अंग्रेज़ो ने  कलकत्ता किलेबन्दी बंद करने के नवाब के आदेश का उलंघन  किया तो सुिराजुदौल्ला ने कासिम बाजार  स्थित अंग्रजो के कारखानों को जप्त कर लिया।  इसके बाद उसने कलकत्ता पर आक्रमण  किया अंग्रेज अधिकारी भाग खड़े हुए। 30 जून 1756 ई० को कुछ विरोध किये जाने के बाद अंग्रजो ने फोर्ट विलियम को सिराज के हाथ सुपुर्द कर दिया।  कुछ अँगरेज़ व्यापारियों ने आत्मसमर्पित कर  दिए  और  बहुत से गिरफ्तार कर  लिए गए।  

4. काली कोठरी की दुर्घटना - सिराजुदौला की कलकत्ता विजय काली कोठरी की दुर्घटना को लेकर एक अत्यंत ही मनोरंजक किन्तु भयावह घटना  बन गयी कहा जाता है की एक  छोटे से कमरे में 146  बन्दियो को  रखा गया था जिसमे 123 बन्दी दम  घुटने के करण मर गए उसमे केवल 23 व्यक्ति बचे , जिसमे एक हॉकवेल था। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Ad Code

Responsive Advertisement